‘मलबे का मालिक’ मोहन राकेश द्वारा रचित एक सुप्रसिद्ध कहानी है | यह कहानी भारत-विभाजन की त्रासदी का मार्मिक चित्रण करती है | गनी ‘मलबे का मालिक’ कहानी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्र कहा जा सकता है | वह एक बूढ़ा व्यक्ति है | भारत के विभाजन के समय वह पाकिस्तान चला गया था | उसका पुत्र चिरागदीन, उसकी पत्नी और बच्चे अमृतसर में ही रहते थे | भारत-विभाजन के समय भड़कने वाली सांप्रदायिक हिंसा में रक्खा पहलवान चिरागदीन, उसकी पत्नी तथा उसकी दोनों बेटियों की हत्या कर देता है | इस त्रासदी के सात वर्ष बाद वह अमृतसर एक बार फिर से वापस आता है तथा वहां अपने घर के मलबे को देखकर असहनीय पीड़ा से भर जाता है | गनी मियां का चरित्र-चित्रण निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से किया जा सकता है —
(1) शारीरिक संरचना
गनी मियां एक वृद्ध तथा शारीरिक रूप से शिथिल व्यक्ति था | वह छड़ी का सहारा लेकर चलता था | उसके घुटने पजामे से बाहर को निकल रहे थे और घुटनों के थोड़ा ऊपर ही उसकी शेरवानी में तीन-चार पैबंद लगे थे जो उसकी आर्थिक स्थिति को उजागर करते थे | वह सिर पर टोपी पहनता था तथा उसकी दाढ़ी के सभी बाल सफेद हो चुके थे |
(2) वात्सल्य भावना
गनी मियां वात्सल्य भावना से युक्त था | अपनी आयु के अनुरूप वह सभी छोटी आयु के लोगों के प्रति वात्सल्य की भावना रखता था तथा सभी का कुशल-मंगल चाहता था | जब वह अमृतसर में बांसा बाजार में अपने घर की तरफ जा रहा था तो गली में एक रोते हुए छोटे बच्चे को देखकर वह उसे पुकारता है और उसे पुचकार कर उसे चिज्जी देना चाहता है | परंतु स्थानीय लोग उसे संदेह की दृष्टि से देखते हैं |
(3) भावुक हृदय
गनी मियाँ एक भावुक हृदय का व्यक्ति है | भारत विभाजन के सात वर्ष पश्चात जब वह अमृतसर में अपने मकान के मलबे को देखता है तो अत्यंत भावुक हो उठता है | उस मलबे को देखकर उसका दिल बैठ जाता है | उसकी जुबान पहले से ज्यादा खुश्क हो जाती है और घुटने और ज्यादा काँपने लगते हैं | वह फूट-फूट कर रोने को होता है | और अपने बेटे चिरागदीन का नाम लेकर एक बड़ी दर्द भरी आह भरता है |
(4) साफ और भोले हृदय का स्वामी
गनी मियां भोला-भाला और साफ हृदय का स्वामी है | अपने बेटे तथा पूरे परिवार की हत्या करने वाले रक्खा पहलवान के प्रति उसके मन में किसी प्रकार की कोई द्वेष भावना नहीं है | वह उससे घंटों बातें करता है, उसे लंबी आयु की दुआएं देता है | रक्खा पहलवान के अजीब व्यवहार के बावजूद एक पल भी उसे रक्खा पहलवान पर संदेह नहीं होता और न ही वह अपने परिवार के हत्यारों के विषय में किसी से कोई बातचीत करता है | वह सभी का भला चाहता है और सभी को दुआएं देता हुआ वापस चला जाता है |
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि गनी मियां ‘मलबे का मालिक’ कहानी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्र है | वह कहानी में आरंभ से लेकर अंत तक आकर्षण व जिज्ञासा का केंद्र बना रहता है | उसके चरित्र के माध्यम से ही कहानी का पूरा कथानक तथा मूल भाव उजागर होता है | यह कहानी जहां सांप्रदायिक हिंसा के विभत्स चित्र को उजागर करती है वहीं गनी मियां के चरित्र के माध्यम से उसका सर्वकालिक हल भी सुझाती है |
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